जयपुर। राजस्थान सरकार ने नई आबकारी नीति जारी कर दी है, जिसमें मयखानों (होटल बार) और शराब की दुकानों को लेकर कई अहम बदलाव किए गए हैं। सरकार ने मधुशाला संस्कृति को बढ़ावा देते हुए अब 10 कमरों वाली होटल में भी शराबख़ाने खोलने की इजाज़त दे दी है।
पहले इसके लिए कम से कम 20 कमरों की अनिवार्यता थी। इसके अलावा, बार लाइसेंस लेना भी बेहद आसान कर दिया गया है, जिसमें ऑनलाइन आवेदन करने पर ऑटो-अप्रूवल मिल जाएगा।
गली-गली महखाने, हर होटल में लगेगी शराब की महफ़िल
राज लिकर वेलफेयर सोसायटी के कोषाध्यक्ष नरेश पारीक ने इस पॉलिसी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार के इस कदम से अब हर गली, हर नुक्कड़ पर शराबख़ाने खुल सकते हैं।

राजस्थान में पहले से 1417 होटल-रेस्टोरेंट बार लाइसेंस के तहत संचालित हो रहे हैं, लेकिन छोटे होटलों में यह सुविधा मिलने से यह संख्या कई गुना बढ़ सकती है।
हालांकि, शराब कारोबारियों ने सरकार से मधुशालाओं के समय को बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन उस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। बेचने का समय सीमित होने से सरकार का राजस्व भी प्रभावित हो सकता है।
पर्यटन स्थलों के लिए सीजनल शराबख़ाने
राजस्थान के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों जैसे जैसलमेर, रणकपुर, उदयपुर, माउंट आबू, पुष्कर, कुंभलगढ़, जवाई, सवाई माधोपुर आदि में अब सीजनल लाइसेंस की सुविधा दी जाएगी। यहां आने वाले पर्यटक अब अस्थायी मधुशालाओं में भी जाम लुटा सकेंगे। पहले इन जगहों पर शराब बेचने के लिए सालाना लाइसेंस लेना ज़रूरी था, लेकिन अब इसे सीजनल लाइसेंस के तहत संचालित किया जा सकेगा।

बल्क में दुकानें खरीदने की छूट, पर सीमा तय
नई नीति में बल्क में शराब की दुकानें देने का पुराना नियम बरकरार रखा गया है, लेकिन अब किसी भी बड़े समूह को पूरे राज्य में अधिकतम 5 दुकानों का ही एकाधिकार मिलेगा। यानी बड़े कारोबारी पूरे शहर में शराब का नेटवर्क नहीं फैला सकेंगे। हालांकि, सरकार ने इस साल 7665 शराब की दुकानों की ही नीलामी का फैसला लिया है और इनकी संख्या नहीं बढ़ाई गई है।
नई नीति के तहत अब महखानों के लाइसेंस को 2029 तक रिन्यू करवाने की छूट मिलेगी। यानी कोई भी संचालक चार साल तक बिना दोबारा नीलामी प्रक्रिया में भाग लिए अपनी दुकान चला सकेगा। इससे शराब कारोबारियों को हर साल बोली की अनिश्चितता से छुटकारा मिलेगा।
टिप्पणी : राजस्थान सरकार की यह नीति पर्यटन और राजस्व वृद्धि के लिए बनाई गई है, लेकिन इसका असर सामाजिक और नैतिक स्तर पर भी पड़ेगा। हर छोटी होटल में बार खुलने से शराब की सार्वजनिक उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे युवा और स्थानीय आबादी पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
सरकार का मक़सद महखानों को बढ़ावा देना है या राजस्व बढ़ाना, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि राजस्थान की गली-गली में अब मधुशालाओं का शोर और जाम का दौर तेज़ होने वाला है!